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इमानदार पुलिसकर्मी को सजा भ्रष्ट कर रहे है मजा

 

 

 

 

 

योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते

 

*आखिर क्यों प्रतिष्ठित मीडिया फंसी टी आई इन्दरगंज के जाल में*
ग्वालियर । शहर में बड़े बड़े खुलासे करने वाले प्रतिष्ठित अखबार के यह पत्रकार जाने कैसे तथ्यों को समझने में गलती कर गए यह समझ से परे है या फिर ये कहे कि वह टी आई इन्दरगंज के फैलाये झूठे जाल में फंस गए । एक पत्रकार के नाते आप का फर्ज है कि तथ्यों को पूरी तरहजांच कर ही खबर लिखे क्योंकि लोग आपकी कही हुई बात पर विश्वास करते है अतः आपकी और अधिक जिम्मेदारी बढ जाती है कि किसी गलत तथ्य पर आधारित खबर आप से न छप जाए और पत्रकारिता की पढ़ाई में सबसे प्रथम पाठ जो पढ़ाया जाता है उसमें भी कहा गया है कि किसी सूत्र की खबर को तथ्यों पर परख कर ही खबर को छापें किसी के कह देने मात्र से खबर नही छपी जा सकती क्योंकि आपकी खबर जिसके खिलाफ लिखी गयी है वह उसके सामाजिक व पेशेवर जीवन के साथ ही उसकी मनोदशा पर भी प्रभाव डालती है ऐसा ही इन्दरगंज में हुए एसआई अत्तर सिंह वाले मामले में हुआ जो व्यक्ति सेना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है उसके पक्ष को जाने बिना ही समाज की नज़रों में विलेन बना दिया उसकी ईमानदारी की आवज का गला इन प्रतिष्ठित अखबार की एक गलत व तथ्यहीन खबर ने घोट दिया पर आज भी वह पूर्व फौजी अपने सच की लड़ाई लड़ रहा है और चीख चीख कर वो सवाल उन खबर लिखने वालों से पूछ रहा है जिन्होंने बिना सत्य जाने ही उसके चरित्र के ऊपर लांक्षन लगा दिए टी आई के षड्यन्त्र का सबक तो वो टी आई साहब को सीखा ही देगा पर उसकी उस सामाजिक छवि का क्या जो उस तथ्यहीन खबर की वजह से धूमिल हुई क्या प्रतिष्ठित अख़बार वह छवि वापस दिला सकते है क्या?

*प्रतिष्ठित अखबार के लोगों से निवेदन है कि कृपया इन तथ्यों को जांचे हो सकता है कि कुछ ज्यादा सामाजिक सरोकार रखने वाली खबर निकल कर आये*

*जो वीडियो वायरल हुआ किस के द्वारा वायरल किया गया और उसकी क्या मनसा थी
*क्या केवल वीडियो एस पी साहब को दिखाने के लिए ही बनाया गया था
*जिस त्रिशूल को उखाड़ा गया उसकी फोटो क्यों नही छापी गयी जबकि वो त्रिशूल जस का तस आज भी वंही लगा हुआ है
*त्रिशूल को दो तीन लोग मिलकर भी नही उखाड़ सकते उसे अत्तर सिंह ने कैसे उखाड़ लिया
*वायरल वीडियो में त्रिशूल लेकर दौड़ता हुआ दिखाई दिया क्या एस आई अतर सिंह
*थाने के सीसीटीव फुटेज क्यों नही चेक किये गए
*जिस टी आई पर पहले भी अभद्रता के आरोप लगे हुए हैं उसकी बात को क्यों सच मान लिया गया बिना कोई सबूत जांचे
*जिस तथाकथित वीडियो में सट्टे के कारोबार के लिए बात हो रही थी उसमें कौन किस से क्या बात कह रहा था क्यों नही बताया गया
*वायरल वीडियो यदि प्रतिष्ठित अखबार के पास नही था तो केवल सूत्र के कहने पर इतनी बड़ी खबर कैसे छाप दी

वैसे तो सभी पत्रकार अपनी कसौटी पर खबर को कस कर देख लेते हैं पर जाने क्यों इस इन्दरगंज वाले मामले में पत्रकारों ने अपना काम निष्ठा से नही किया जिसकी वजह से एक ईमानदार पुलिस वाले को सस्पेंड होना पड़ा है और बेईमान मौज कर रहे है आखिर जिस सट्टे वाले से पैसे लेने की बात की गई उस पर कार्यवाही क्या हुई किसी ने भी चार दिन बाद तक नही छापी एक बार को मांन भी लें कि उत्तर सिंह गलत थे तो आज तक उस सट्टे वाले पर क्यों कार्यवाही नही हुई क्या यह अपने आप मे सिद्ध नही करता कि मामला कुछ और है दिखाया कुछ और जा रहा है।
**पूर्व में वाहन चोर एंव गांजा सप्लायर को टीआइ इंदरगंज ने विना कार्यवाही के छोडा लेकिन टीआइ पर क्यों नही हुइ कार्यवाही कहीं ऊपर बैठे आकाओं का सपोर्ट तो नही*
इस मामले में एक कहावत जरूर याद आती है की जब अल्लाह मैहरवान तो गधा पहलवान जी हां यह कहना सही ही है क्योकी थाना इंदरगंज के टीआइ इतने नेक व्यक्ति है की वे काम का काम कर देते और दाम का पता भी नही चलने देते पूर्व में सोशल मीडीआ की सुर्खियों में छाये रहे टीआइ ने एक शरीफ दुकानदार के काउंटर पर लात मार कर यह साबित कर दिया की वे कितने पढे लिखे है ऐसा इशिलिये कहना ठीक होगा क्योकी इस टीआइ को इस बात की जरा शर्म नही आयी की वे जिस काउंटर पर लात मार कर अपनी गर्मी निकाल रहे है वह किसी दुकानदार की रोजी रोटी होती है और उस काउंटर में मां लझ्मीं विराजमान रहती है हद है वेशर्मी की टीआइ शाहब वही दूसरे मामले की बात करे तो एक वाहन चोर पकडा जाता है और उस पर टीआइ जाने क्यो मैहरवान हो जाते है उसे विना कार्यवाही के छोड देते है तीसरा मामला गांजे के साथ युवक पकड़ा जाता है उसे भी टीआइ छोड देते है क्या बात है अब ये हम नही बढे बढे अखबार कह रहे है अब सवाल टीआइ शाहब से जब आप ही इस प्रकार का भ्रष्टाचार फैला रहे हो तो थाना क्या चलाओंगे और आप पर कार्यवाही क्यों नही होती और ऐसा कौनसा आका है जो आप पर अपनी छात्रों छाया प्रदान करें हुआ है वस आखिर में इतना बोलना चाहेंगे की सच्चाई को हराने बाले अच्छे अच्छे मठाधीश सडकों पर जरूर आ जाते है लेकिन जीत सच्चाई की ही होती है सत्यमेव जयते

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