
योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते
*दो महीने से बंद हुई परिवहन विभाग से उगाही में ही भडभडाने लगे कुछ ब्लैकमेलर पत्रकार*
जब से परिवाहन विभाग में नई नीति के चलते वसुली बन्द हुई तब से दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकारों को हर महीन मिल रहा मोटा माल भी मिलना बन्द हो गया है जिसके चलते अब इन ब्लैकमेलरों पत्रकारों ने परिवहन विभाग के काम मे बाधा भी डालना शुरू कर दिया है अवैध वसूली इतनी जरूरी है कि यह लोग परिवहन विभाग की महिला कर्मचारियों से भी जबरजस्ती भीड़ रहे हैं उनका काम करना इतना मुश्किल कर दिया है कि यह महिलाएं परेशान हो रही है जहाँ भी मर्जी होती है कैमरा खोल के खड़े ही जाते है और अपने आप को पत्रकार बताकर उन्हें परेशान करने लगते हैं जब उनसे उन महिलाओं द्वारा कहा जाता है कि आपको रिकॉर्डिंग करने है तो करे पर बार बार हमारे आगे पीछे न घूमे तो यह लोग उन्हें बड़ी बुरी तरह से चिल्ला चिल्ला कर उटपटांग बोलते है जिस से झिलाकर जब उन महिलाओं के मुँह से कुछ निकल जाए तो यह उसे सोशल मीडिया पर कांट छाँट कर वायरल कर उन महिला कर्मचारियों की छवि खराब करते है । ऐसे पत्रकारों को जो केवल वसुली के लिए पत्रकारिता कर रहे है और महिलाओं का सम्मान नही कर सकते उन्हें पत्रकार कहना ही गलत है
*शहडोल जिले से परिवहन उड़न दस्ते के वायरल वीडियो का सच*
एक वीडियो सोशल मीडिया वाले ब्लैकमेलर पत्रकारों ने वायरल किया है जिसमें एक परिवहन उपनिरीक्षक मीनाक्षी गोखले व उनकी कनिष्ठ सहकर्मी ऋतु शुक्ला कुछ पत्रकारों को गुस्से में कुछ बोलते हुए नज़र आ रही है आजकल सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड चला है कि उतना वीडियो डालो जितना हमको शूट करता है यानि अर्धसत्य दिखाओ और जनता के मन मे भ्रम पैदा करो ऐसा ही, कुछ परिवहन विभाग शहडोल की उप निरक्षक के साथ भी इन ब्लैकमेलर पत्रकारों ने किया जब ये वँहा पँहुचे तो ये पूर्वाग्रह से ग्रस्त थे और महीने की मोटी कमाई बन्द होने के दर्द में जिसके चलते जिन्हीने वँहा कैमरा चलना शरू किया और महिला समझकर उड़नदस्ते की उपरीक्षक मीनाक्षी गोखले पर वशूली के मकसद से दबाब बनाना शुरू किया पर मीनाक्षी गोखले ने मानसिक रूप से मजबूत अधिकारी होने का परिचय दिया और इन को अपनी खबर बनाने के लिए स्वतंत्र कर दिया पर जब इनका मकसद खबर नही वशूली था तो यह ब्लैकमेलर दल्ले पत्रकार भड़क गए और चिल्लाचोंट करने लगे जिसे देख कर पास ही खड़ी ऋतु शुक्ला उपरीक्षक मैडम के पास आई और जोर से चिल्लाकर इन पत्रकारों को हटाया इसके बाद जब मीनाक्षी गोखले और ऋतु ने इनका प्रतिकार किया तो इनकी परुष मानसिकता आहात हो गई और उन्होंने वीडियो को कांटछांट कर छवि खराब करने के लिए यह वीडियो वायरल कर दिया । इसी तरह की पत्रकारिता जिसमे अपने स्वार्थ को साधने के लिए किसी भी हद तक जाने की वजह से आज पत्रकारिता बदनाम हो रही है मेरी तो मुख्यमंत्री और परिवहन के आला अधिकारियों से उम्मीद है की ऐसे पत्रकारों पर कड़ी से कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जानी चाहिए
*परिवहन महिला आरझक के अंगो की बीडीओं बना रहे थे ब्लैकमेलर पत्रकार बना रहे ट्रक छोड़ने का दबाब भड़की महिला आरझक*
जी हां आपको बता दे की आज शुबह से सोशल मीडीआ पर एक बीडीओं बायरल हो रही है जिसमें परिवहन विभाग में पदस्थ महिलायें कर रही थी अभद्र भाषा का प्रयोग लेकिन आखिर ये महिला आरझक क्यों भड़की इस बात की सच्चाई किसी को नही पता लेकिन हम आपको बताते है मामला आज का है जब परिवहन चैकिंग पाइंट पर शासन के निर्देशानुसार ओवरलोड बाहनों की चैकिंग चल रही थी और चालानी कार्यवाही भी की जा रही थी कुछ समय बाद एक सीमेंन्ट से लदा हुआ बाहन जो की ओबरलोड बताया जा रहा था जिसको परिवहन आरझक रितू शुक्ला एंव अन्य मौजूद महिला स्टाफ ने इस ओवरलोड वाहन को पकड़ा एंव नियमनुसार चैक किया और चालानी कार्यवाही की बात कहीं जिसके बाद ट्रक चालक ने फोन कर अपने साथी जो की अपने आप को पत्रकार बता रहें थे उनको मौके पर बुला लिया और उन लोगों के आने के पश्चात ट्रक चालक नेता बनाने लगा और कहने लगा की में पत्रकार हूं ये बाहन मेरा है इसे छोड दो बरना में तुम्हारी आरटीओगिरी निकाल दुंगा जिसके बाद ट्रक चालक के साथ अन्य लोग तथाकथित पत्रकारों ने अपने मोबाइल से महिला आरझक की उल्टी सीधी बीडिओं बनाना शुरू कर दिया और तो और महिला परिवहन स्टाफ के अंगो की बीडीओं ग्राफी करने लगे जिसके बाद महिला आरझक भड़की और उन पत्रकारों से मना किया की मेरे शरीर की बीडीओं मत बनाओं चैकपाइन्ट की बनाओं हमें कोइ आपत्ती नही लेकिन वे पत्रकार नही माने और लगातार वहां मौजूद महिला स्टाफ के अंगो की बीडीओं बनाते रहे जिसके बाद महिला आरझक रितू शुक्ला भड़क गइ और उन लोगो का विरोध कर बैठी और इसी कारण से गाली गलोज दी गइ अब आप और हम और हमारे पाठक समझदार है की जब किसी महिला की बिडीओं ग्राफी कर उनके शरीर के अंगो का आप प्रदशर्न कर रहे तो आप ये कैसी पत्रकारिता कर रहे है अगर देखा जाये तो इस प्रकार की पत्रकारिता से आज समाज में अन्य पत्रकार जो अच्छे सच्चे कार्य कर रहे है वे बदनाम हो रहे है आखिर में हम तो यही कहेंगे की आज की इस हरकत पर जो कार्यवाही शासन ने महिला पर की है तो एक कार्यवाही उन ब्लेकमेलरों पत्रकारों पर भी होना चाहिये जैसे शासकीय कार्य में बाधा या फिर महिलाओं से छेडखानी
