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ब्लैकमेलर फर्जी पत्रकारो ने आखिर क्यों कर दिया इस पेशे को बदनाम सवाल हमारा अब देखते हैं जवाब कौन देता है ?

 

 

 

योगेश शर्मा सत्यमेव जयते नाम ही काफी है

 

इस पत्रकारिता को आप क्या कहेंगे ::::::::

स्पेशल स्टोरी शुद्ध भाषा में योगेश शर्मा

आज भारत देश में लाखों पत्रकार अपनी पत्रकारिता कर रहे हैं। देश की जनता भी इस चौथे स्तंभ पर अपना विश्वास पूर्ण रूप से करती है जब भी कोई मजबूर व्यक्ति। परेशान व्यक्ति जब कानून के दायरे में फँस जाता है तो। एवं उसे कहीं से भी न्याय नहीं मिलता तो वह व्यक्ति आखिर में परेशान होकर पत्रकारों से संपर्क करता है। अर्थात मीडिया के पास जाता है इस उम्मीद से संविधान के चौथे स्तंभ मीडिया की सहायता से उसे न्याय मिल जाए और कई हद तक देखा गया है कि उस परेशान व्यक्ति को किसी न किसी सच्चे पत्रकार द्वारा न्याय। के उस रास्ते पर खड़ा कर उसे उसकी परेशानी से निजात। कई पत्रकारों ने ही दिलाया है इसे हम सही मायने की पत्रकारिता कहेंगे। लेकिन आज के दौर में पत्रकारिता कहीं हद तक चाटुकरिता बन गई है ब्लैक मेलिंग एवं दल्ला गिरी और तो और भढ़वा गिरी तक बन गयी है आज हमारे समाज में ऐसे कई लोग इस पत्रकारिता वाले पेशे। में जाने कहाँ से घुस आए हैं जिसको देखो वह अपने आपको पत्रकार बताता है ₹200 की माइक आईडी लेके और 5000 का। मोबाइल लेके वह अपने आपको पत्रकार कहने लगता है और शहरों की हर गलियों हर मोहल्लों हर थानो हर सरकारी दफ्तरों में वह अपनी झूठी एवं फर्जी पत्रकारिता करके। कई ईमानदार सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों को ब्लैकमेल करता है और उसे अपनी पत्रकारिता का। रौब दिखाकर डराता भी है और धमकाता भी है जिससे इस समाज में पत्रकारिता तो बदनाम होती ही है। साथ में जनता का विश्वास भी इस पत्रकारिता से कहीं न कहीं उठने लगा है। आज जो समाज में सच्चे एवं अच्छे पत्रकार अपनी पत्रकारिता एवं अपने सच्ची लेखन। पद्धति के लिए जाने जाते हैं वे पत्रकार भी है। इन्हीं फर्जी पत्रकारों की कैटेगरी में आने लगे हैं। तो इसका सबसे बड़ा कारण है ये जो फर्जी पत्रकार हैं जो कि। लोगों को आए दिन ब्लैकमेल करते हैं तो उन लोगों की नजर में सभी पत्रकार ब्लैक मेलर ही दिखाई देते हैं इसी कारण से आज अच्छे एवं सच्चे पढ़े।लिखे पत्रकार सिर्फ और सिर्फ एक मोम का पुतला बनकर रह गए हैं क्योंकि किसी भी विभाग में उन सच्चे पत्रकारों को न। कोई अधिकारी घास डालता है ना समाज की जनता उन पर विश्वास करती है और इसका सबसे बड़ा मुख्य कारण है कुछ तथाकथित फर्जी पत्रकार जिनके कुकर्मों की वजह से। आज सच्चा पत्रकार पीछे की ओर जाता जा रहा है और फर्जी पत्रकार ब्लैकमेलर पत्रकार सरकारी विभाग के कई अधिकारियों को ब्लैकमेल कर खूब मलाई खा रहे हैं। क्या वास्तविकता में ये पत्रकारिता है आखिर? क्या हो गया है इस पत्रकारिता के पेशे को क्या सरकार यह जनसंपर्क विभाग इन ब्लैक मेलर फर्जी पत्रकारों के लिए कोई कानून? आखिर क्यों नहीं बनातीं? क्यों इन दलाल फर्जी पत्रकारों पर कोई शिकंजा क्यों नहीं कसा?जा रहा है आज की स्थिति ये हो गयी है सब्जी बेचने वाला भी अपने आप को पत्रकार कहता है सड़कों पर सवारियां ढोने वाला ऑटो चालक भी अपने आपको पत्रकार कह रहा है अगर इस हिसाब से देखा जाए तो हर गली मोहल्ले में हर एक परिवार में 1, 2 व्यक्ति अपने आप को पत्रकार कहने लगते हैं। यह संदेश उन छात्रों के लिए विशेष। तौर पर हम देने का प्रयास कर रहे हैं जो कि बड़े बड़े कॉलेजों में पत्रकारिता की। उपाधि प्राप्त करने के लिए दिन रात पढ़ने और मेहनत करने में लगे हैं। क्या वह छात्र इसलिए मेहनत कर रहे हैं की  पत्रकारिता की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं कि कल।के दिन भी उनके नाम के आगे ब्लैक मेलर लिखा जाए तो यह बात तो बहुत गलत है जिस प्रकार से इस पत्रकारिता जैसे पेशे। को चंद दलाल पत्रकार बदनाम करने में लगे हुए हैं। उस पर कहीं ना कहीं रोक लगना जरूरी है। अगर आलम यही रहा तो हम इस बात की 100%। गारंटी देते हैं की आने वाले समय में। इन फर्जी पत्रकारो की फर्जी पत्रकारिता के चलते हर एक सच्चे और अच्छे पत्रकारों मैं जूते पढ़ना तय slot maxwin है सत्यमेव जयते

 

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