
योगेश शर्मा नाम ही काफी सत्यमेव जयते
*मध्य प्रदेश परिवहन विभाग की सच्ची कहानी मेरी कलम।से*
परिवहन कमिश्नर विवेक शर्मा परिवहन डिप्टी शिकायत कमिश्नर किरण शर्मा एवं समस्त आरटीआई एवं टीएसआई एवं जमीनी स्तर के आरक्षक इन। दिनों भरी गर्मी में मध्यप्रदेश सरकार लिए दिन रात राजस्व जुटाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं और यह मेहनत ईमानदारी पारदर्शिता और सच्चाई के साथ की जा रही है जैसा कि हमने पूरे मध्यप्रदेश। मैं सभी परिवहन चेक पॉइंट पर दौरा किया और वहां की मौजूदा स्थिति को भली भाँति जाना हर चेक पॉइंट में हमें।
सभी आरटीआई एवं टीएसआई परिवहन कमिश्नर विवेक शर्मा जी। के निर्देशन अनुसार। अपने शासकीय काम को नियमानुसार करने में लगे हुए हैं जबकि एक नजर मध्यप्रदेश में पड़ रही है भारी गर्मी पर डाली जाए तो इस समय तापमान 45 डिग्री से 48 डिग्री तक पहुंच रहा है इस भारी गर्मी में जहां प्रदेश कि आम जनता घर से निकलने पहले दस बार सोचतीं लेकिन वहीं परिवहन विभाग का जमीनी स्टाफ चाहे वह पीएससी क्वालिफाइड आरटीआई या टीएसआई हो इस भरी गर्मी में भी वे सड़कों पर अवैध तरीके से चलने वाले वाहनों को पकड़ कर अपनी जान जोखिम में डालकर उनको समझाइश भी दे रहे हैं। और साथ ही उन पर नियम अनुसार चालानी।कार्रवाई भी कर रहे हैं अब जब परिवहन विभाग स्टाफ ईमानदारी के साथ जब इतनी मेहनत कर रहा है तो सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर मध्यप्रदेश के कुछ तथाकथित ब्लैक मेलर पत्रकार अपनी झूठी एवं फर्जी खबरों से।
लोगों को आखिर क्यों गुमराह कर रहे हैं इसके पीछे क्या वजह? उसे हम आपको अपनी भाषा में समझाते हैं
वैसे तो इस मध्य प्रदेश में हजारों पत्रकार अपनी कलम के माध्यम से प्रदेश में चल रहे कार्यो योजनाओं आदि को आम जनता तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के तमाम सरकारी विभागों की सच्ची ख़बरों को उजागर कर जनता तक पहुंचा रहे हैं।
उन पत्रकारों को खुलासा टाइम्स सैल्यूट करता है लेकिन उन्हीं पत्रकारों में से कई तथा कथित ब्लैकमेलर पत्रकार कई विभागों में जा जाकर वहां बैठे वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने का कार्य अपनी झूठी एवं फर्जी खबरों से कर रहे हैं जैसा कि हमने सोशल मीडिया एवं तथाकथित चैनलों के माध्यम से देखा है। कि कई झोलाछाप पत्रकार जिन पर न तो किसी प्रॉपर अखबार। का रजिस्ट्रेशन है और ना ही उनका अखबार। किसी प्रिंटिंग प्रेस से नहीं छपता और ना। ही उस अखबार का कोई सर्कुलेशन है वे तथाकथित ब्लैक मेलर पत्रकार सिर्फ एक पेज का अखबार की पीडीऍफ बनाकर मोबाइल पर व्हाट्सऐप व्हाट्सऐप खेलते हैं जिस भी अधिकारी को उन्हें ब्लैकमेल करना है वे उसके व्हाट्सऐप पर एक पेज का पीडीएफ।
छापकर उसकी झूठी ख़बरें दिखाकर उसे ब्लैकमेल करने का कार्य करने में लगे हुए हैं जिस कारण से आज इस समाज में जो सच्चे पत्रकार है उनको भी हर सरकारी विभाग हर समाज। का व्यक्ति ब्लैक मेलर पत्रकार कहने लगा है लेकिन हम आपको बता दें इस प्रकार की फर्जी पत्रकारिता ज्यादा दिन तक इस समाज में नहीं चलेगी क्योंकि जिस प्रकार से आज सच्ची पत्रकारिता का स्तर नीचे गिर रहा है उसका मुख्य कारण है मध्य प्रदेश के कुछ तथाकथित ब्लैक मेलर पत्रकारों की कथनी और करनी —–
*आखिर परिवहन विभाग ही क्यों टारगेट पर रहता है इन ब्लैक मेलर पत्रकारों की पहली पसंद*
इन दिनों।
कुछ तथाकथित ब्लैक मेलर पत्रकारों की पहली पसंद परिवहन विभाग है इसका कारण यह है कि पूर्व सालों में इस परिवहन विभाग मैं पदस्थ पुराने परिवहन अधिकारियों द्वारा इन ब्लैक मेलर फर्जी पत्रकारों को हर महीने कुत्तों के माफ़िक हड्डियां दी जाती थी लेकिन जैसे जैसे समय निकलता गया न वे गड्डियों वाले अधिकारी रहे ना वे हड्डियां रहीं सरकारें बदल गई मोहन सरकार ने पूरे मध्य प्रदेश से हर विभाग में भ्रष्टाचार पर कमर कसना शुरू कर दी है लेकिन फिर भी एन ब्लैक मिलर पत्रकारों को वे हड्डियां आज भी सपने में दिखा करती है जिस कारण से वे आए दिन इस परिवहन विभाग की झूठी एवं फर्जी ख़बरों के माध्यम से अपने मकसद को पूरा करने का जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं आज स्थिति यह है कि अगर परिवहन विभाग में एक कील भी गिर जाती है तो इन फर्जी ब्लैक मेलर पत्रकारों के लिए वह छोटी सी कील किसी बड़े खंभे के माफ़िक दिखने लगती है जैसे इन्हीं ब्लैक मैलरों ने पूरे विभाग का ठेका लेके रखा हो आये दिन परिवहन चेक प्वाइंट पर पदस्थ ईमानदार टी एस आई एवं आरटीआई को ये ब्लैकमेल करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
उन परिवहन अधिकारियों से ये महीना मांग रहे हैं अगर महीना दोगे।
तो फायदे में रहोगे अगर महीना नहीं दोगे। तो हम तुम्हें रोज़ ब्लैकमेल करेंगे यह नारा कुछ तथा कथित ब्लैक मेलर पत्रकारों ने लगाना शुरू कर दिया है
वहीं जब यह फर्जी पत्रकार आए दिन परिवहन विभाग में पदस्थ आरटीआई। टीएसआई एवं परिवहन कमिशनर स्तर के अधिकारियों की झूठी खबरें छापते हैं उन पर झूठे आरोप लगाते हैं एक सवाल तो हमारे जहन में ये जरूर आता है की इन फर्जी ब्लैक मेलरों पत्रकारों से कोई यह सवाल पूछा जाए। तुम लोगों पर भी तो लग्जरी कारें और बड़े बड़े मकान आखिर कहां से आए आखिर कौन सा विभाग इनको कौन सी सरकारी तन्खा दे रहा है और यह हर महीने में इनके अखबारों को कितने का सरकारी विज्ञापन प्राइवेट विज्ञापन मिल रहा है और ये तथाकथित ब्लैक मेलर पत्रकार कितना इनकम टैक्स जमा कर रहे हैं और तो और अपनी झूठी खबरों के माध्यम से। कितना पैसा कमाते हैं और इन्होंने इतनी ज्यादा संपत्ति कहाँ से अर्जित कर ली? उसका सवाल कोई इन फर्जी पत्रकारों से क्यों नहीं पूछता और आखिर सच्चे पत्रकार क्यों पीछे हैं? क्यों आज उन सच्चे पत्रकारों के बच्चे आज भी सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं? वे सच्चे पत्रकार आज भी दिन रात मेहनत कर रहे हैं। और आज भी किरायों के मकान में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन सच्चे पत्रकारों को मेरा नमन की आखिर इतनी महंगाई? के जमाने में भी वे बेचारे सच्चे पत्रकार दिन रात खबरों के लिए फील्ड पर दौड़ते रहते हैं और ईमानदारी से अपना जीवन काट रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह कुछ चंद ब्लैक मेलर फर्जी पत्रकारों की झूठी पत्रकारिता ही है इन फर्जियों की झूठी पत्रकारिता के कारण ही और सच्चे पत्रकार पीछे हटते जा रहे हैं जिस पर ख़ुलासा टाइम्स पिछले कई दिनों से लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है करता रहेगा। हमारा मकसद है। सच्चे पत्रकारों को आगे बढ़ाना और फर्जी ब्लैक मेलर टाइप के पत्रकारों को इस पत्रकारिता से दूर भगाना और बाकी किसी ब्लैक मेलर दल्ले पत्रकार को हम से दिक्कत हो तो हम से सीधा संपर्क कर सकता है साम धाम दंड भेद 24×7 उपलब्ध है योगेश शर्मा सत्यमेव जयते
