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इसे कहते है परिवहन सिन्डीकेड राज चैकपाइंट से लेकर फ्लाइंग के ठेके लगाओ बोली खेलो नोटो की होली

 

 

 

 

 

 

 

 

योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते

*सूत्रो से खबर है मध्यप्रदेश में परिवहन का गुजराती मॉडल फेल , चेकपॉइंट सेल*
ग्वालियर। एक बार फिर मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग परिवहन सिंडिकेट के चंगुल में आ चुका है जिस तरह से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सत्ता सम्भालते ही परिवहन विभाग को सुधारने का जिम्मा लिया था जिसका नतीजा था गुजरात की तर्ज पर चेकपोस्ट खत्म कर चेकपॉइंट बनाये जाएं व अवैध वसूली प्राइवेट कर्मचारी व ठेका प्रथा समाप्त की जाए पर वो कहते हैं ना कि पैसे में बड़ा दम होता है जिस से कुछ भी खरीद जा सकता है आदमी का ईमान भी । आजकल की परिवहन विभाग की हालत देख कर यही लगता है कि सिस्टम एक बार फिर ऊपर से नीचे तक बिक गया है सेंधवा खबासा मालथऔन खिलचीपुर सिकंदरा खड़ई करहाल जैसे चेकपॉइंट 50 से 60 लाख रुपये महीना में अवैध वसूली के ठेके पर दिए जा चुके हैं उन आरटीआइयों की सीधे सिंगल आदेश जारी किए जा रहे हैं जो बड़ी बोली लगा रहे है जिस तरह से ईमानदार अधिकारी व कर्मचारियों को लूप लाइन में फेंका जा रहा उससे तो यही प्रतीत होता है कि परिवहन मंत्री आयुक्त किसी कठपुतली की भांति परिवहन सिंडिकेट के हाथों में नाच रहे है या फिर हिस्सा बन चुके हैं हो सकता है इस नाच के लिए रकम भी तय हो गई हो पर एक बात तो तय है कि बिना आयुक्त परिवहन और परिवहन मंत्री की मर्जी के यह ठेका प्रथा दुबारा चालू नही हो सकती परिवहन मंत्री की चुपी इस प्रथा को चालू करने की मौन स्वीकृति ही है और रही बात आयुक्त महोदय की तो वो खुद ही ठेके पर हैं शायद इसीलिए वो कार्यालय से अक्सर नदारद रहते है और सवाल पूछने वालों से नाराज । जिस तरह से शुरुआत में गुजरात मॉडल का सुगुफ़ा छोड़ा गया वो भी इस अवैध वसुली को चोगा पहनने का ही एक जरिया बन चुका है क्योंकि जिस तरह से परिवहन मंत्री ने इन्हें आनन फानन में लागू किये गए गुजरात मॉडल की वजह से राजस्व एकत्रित करने में छूट दी है उससे इनकी अवैध कमाई ही बढी है अब इसका कितना किसको जाता है वो पता नही पर है यही और इससे परिवहन मंत्री अपने आप को अलग भी नही कर सकते ।
*बाप बड़ा न भईया सबसे बड़ा रुपैया परिवहन विभाग*
ग्वालियर। जी हाँ आजकल परिवहन विभाग का यही फलसफा है की प्रदेश को राजस्व मिले या नही जेब जरूर भरनी चाहिए । जिसके चलते विभाग रोटेशन पॉलिसी को ताक पर रख सिंगल सिंगल आदेशों के जरिये अपनी कठपुतलियों को कमाऊ जगह पर सैट कर रहे हैं और ईमानदार और राजस्व को बढ़ाने वाले अधिकारियों को लूप लाइन में पटक रहे है सूत्रों की माने तो चेकपोइंटों को परिवहन सिंडिकेट ठेके पर ले चुका है और इस चमड़ी और दमड़ी के माध्यम से परिवहन विभाग को अपने पैर तले रौंदने वाले सिंडिकेट सरगना भोपाल का चमडी का सोंकीन आरटीआई खबासा चेकपॉइंट पर अपना कठपुतली आरटीआइ को सैट कर दिया है ठेके पैसे दोनों तय हो गए हैं जो देगा वो रहेगा नही तो ऑफिस जाएगा की तर्ज पर एक और सिंगल आदेश पर पिछले दो महीने में ही 38 लाख का रैवेन्यू देने वाले आरटीआई को एक चेकपॉइंट से हटा कर ऑफिस अटैच कर दिया उसे ईमानदारी का इनाम दिया गया वहीँ सेंधवा जैसे कमाऊ चेकपॉइंट पर कम राजस्व एकत्रित करने वालों को दंड स्वरूप सेंधवा ही रखा है
*सूत्र परिवहन के पूर्व सिपाही ने लिया 80 करोड का माताटीला डैम में ठेका पकडेगा मछली*
ग्वालियर। आखिर एक विभाग किस तरह भ्रष्ट है इसका पता इस बात से चलता है कि उस विभाग के कर्मचारियों के पास कितनी धन संपदा है और परिवहन विभाग तो एक ऐसा विभाग है जँहा के कुछ सिपाही तो अरबों के मालिक है अभी हाल ही में किसी गड़बड़ी की वजह से विभाग को छोड़ चुके एक सिपाही ने माताटीला डैम का मछली पकड़ने का 80 करोड़ में ठेका लिया है अब बात यह नही है कि विभाग छोड़ चुका सिपाही ठेका नही ले सकता पर यह सोचने की बात है कि हाल ही में सरकारी नौकरी छोड़ने वाले के पास इतना पैसा आया कँहा से । कोई तो इसकी जांच करले पर कहे कि जांच साहब ये सिपाही साहब तो दूसरे की जांच बंद करा दें तो इनकी जांच कौन करेगा सुना है सक्सेना साहब ने भी इनकी जांच करी थी पर कुछ निकला नही पर नौकरी छोड़नी पड़ी गई थी खैर हमे क्या हम तो बस इतना बता रहे हैं कि साहब ने मछली पकड़ने का ठेका लिया है और क्या साहब की काम की लगन इतनी है कि वो दिन भर नौकरी छोड़ने के बाद भी चिरुला और सिकंदरा की वसूली कराएंगे और फिर मछली पकड़ने माताटीला भी जाएंगे कोई नही मेहनती आदमी की तारीफ तो होनी ही चाहिये
*सूत्रो से खबर है सिकंदरा चैकपोस्ट सिपाही और महिला टीएसआइ की प्रेम कहानी पूर्व सिपाही के ठेके पर कर रहे गुलामी ……*
मेरे महबूब कयामत होगी????? अब इसे कयामत ना कहे तो क्या कहे यही आलम है सिकंदरा चैक पाइन्ट का ठेका जो की इस समय पूर्व परीवहन ठुल्ला सिपाइ और 500 करोड का आसामी के पास है और पूर्व परिवहन सिपाही का गुलाम परिवहन आरक्षक और उसकी एक टीएसआइ मैहबूबा ये दोनो मिलकर इस चैकपाइंट पर ट्रक चालकों से वसूली पर उतारू है अब सोचने बाली बात यह है की जब सिकंदरा चैक पाइंट पर आरटीआइ पदस्थ था तो उसे खबासा चैकपाइंट पर रातो रात भोपाल बाला एक अैयास चमडे के जाहज चलाने बाले आरटीआइ ने सिन्डीकेड में जोड और खबासा चैकपोस्ट ठेके पर दिया इस हिसाब से ये अंदाजा लगाना ठीक ही होगा की पूरे परिवहन पर। सिन्डीकेड हाबी हो गया और इस मोहन राज में सिन्डीकेड राज आने लगा अब तो सीएम शाहब को एक नजर इस परिवहन विभाग पर डालना ही पढेगी क्योकी खुलासे हम करते रहेंगे

अगली खबर में हम खुलासा करेंगे जबलपुर आरटीओ फ्लाइंग में पदस्थ एक महिला टीएसआइ की जुबानी परिवहन मंत्री का खास पुलिस विभाग का आरझक विजय चौहान ने दिलाया मुझे जबलपुर आरटीओ फ्लाइंग 10 लाख महिने मिलते है महिला टीएसआइ को जल्द होगा खुलासा

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