
योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते
*भोपाल में पदस्थ राम नाम बाला आरटीआइ एंड गुजरात सीमा से सटे झेत्र का आरटाआइ फिर सक्रिय*
*प्रमोशन में पाँच-पाँच लाख लेने के बाद अब पोस्टिंग के नाम पर मांग रहे हैं मोटा माल*
ग्वालियर ।हाल ही हुए प्रमोशन के नाम पर 5-5 लाख लेने के लिए बदनाम हुए एक आरटीआइ जो की भोपाल कैंप आफिस में पदस्थ है और दूसरा चमडें के जाहजो का पुजारी गडरिया आरटीआइ एंव उसकी टीम फिर एक बार मोटा माल वसूलने के लिए टी एस आइयों को फोन लगा रही है हिन्दी में एक कहावत है कि कुत्ते की दुम सीधी नही हो सकती चाहे जितने जतन करलो यह कहावत मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में सही साबित हो रही है ।
जँहा एक ओर परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री के लाखों प्रयास कर इनके भ्रष्टाचार को विभाग से दूर करने की योजना बना चुके है लेकिन ये दो चमडी के पुजारी आरटीआइ मामने को ही तैयार नही है वहीँ ताजा मामला चेकपोइंटों पर पोस्टिंग को लेकर मोटा माल टी एस आईयों से फिर से मांगने का सामने आया है जिसमें उन्हें पैसा लेकर मलाई चाटने के लिए पोस्टिंग दी जाएगी । सूत्रों की माने तो भोपाल कैम्प में पदस्थ आर टी आइ और दूसरा गुजरात सीमा में पदस्थ आरटीआइ एंव उनकी टीम ने विभाग के टी एस आईयों से मोटा माल चेकपोइंटों पर नियुक्ति हेतु देने के लिए फोन करके मांगे है शायद जिसके चलते बार बार टल रही रोटेशन लिस्ट अब जल्द ही आ जायेगी । विभाग के यह रसूखदार आर टी आई के पीछे आखिर कौन भोपाल बाले लोग हैं जो इसे इतनी ताकत देते है जिसकी वजह से यह बेख़ौफ़ तरीके से विभाग में अपनी मनमर्जी चलाता है सूत्रों की माने तो करीब 10 से 12 टी एस आईयों को भोपाल परिवहन आफिस में पदस्थ आरटीआइ एंव उसके साथी ने फोन लगाया है । और उनसे पैसे की डिमांड करी है उनमें कुछ तो राजी हो गए हैं पर कुछ अभी शंशय में है
*प्रमोशन पोस्टिंग के नाम पर क्यों मांग रही है मोटा माल राम नाम आरटीआइ एंड टीम*
अपनी साख को दांव पर रख कर रामनाम बाला आरटीआइ एंड टीम जिस तरह पोस्टिंग प्रमोशन करने का दावा कर रही है उसके पीछे की सच्चाई भी विभाग में बड़ी चुटकियां लेकर सुनाई जा रही है सूत्रों कि माने तो हर छः माह बाद विभाग में होने वाले रोटेशन के लिए पूर्व की व्यवस्था के अनुसार तात्कालिक अधिकारियों ने एक व्यवस्था बनाई हुई थी जिस के चलते हर चेकपोस्ट को ठेके पर लेने वाला उसका पूरा पैसा पहले ही दे दिया करता था और बाद में अपने कहे अनुसार चेकपोस्टों पर अपने चाहते आदमियों की पोस्टिंग करा लेता था फिर जम कर छः माह वशूली का खेल चलता था इसी व्यवस्था के चलते जब विभाग में नए अधिकारी आये तो उन्होंने यह प्रथा बंद करवा दी पर इससे पूर्व ही इन ठेकेदार आर टी आईयों ने ठेके का पैसा पूर्व के बिचौलियों को दे दिया था और इस बीच ही नई परिवहन नीति लागू हो गई अब तुमराम और इनकी टीम के करोड़ों रुपये चेकपोस्टों को ठेके पर लेने के लिए दिए गए फंस गए । इसी फंसे पैसे को निकालने के लिए पूर्व के बिचौलियों और रामनाम आरटीआइ एंड टीम ने पहले प्रमोशन के नाम पर तो अब पोस्टिंग के नाम पर मांगां । अब देखना यह है कि बार बार पैसे की मांग की शिकायत करने वाले कब हिम्मत जुटा लिखित शिकायत शासन प्रशासन को करते हैं साथ ही मुख्यमंत्री और मंत्री महोदय को भी इस ओर थोड़ा ध्यान देना चाहिए नही तो विभाग में भ्रष्टाचार खत्म करने के उनके प्रयास को कँही पलीता नही लग जाये ।
**आखिर कौन है भोपाल में बैठा इन दो भ्रष्ट आरटीआइओं का बाप*
जी हां यह एक बढा सवाल है जिसका जबाब आज तक किसी को नही मिल पाया है परिवहन विभाग भोपाल में कार्यरत एक आरटीआइ एंव उसका गुजरात सीमा से सटे इलाके में पदस्थ साथी जो की परिवहन विभाग के अवैध वसूली का कलेक्शन एजेंन्ट है यह दोनो आरटीआइ इस परिवहन विभाग को दीमक की तरह चाटे जा रहे है पूर्व की सरकारों में इन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था और इसके एवज में यह लोग उन्हें करोड़ों की मलाई भी चटाते थे इस मलाई का कुछ हिस्सा पूर्व के अधिकारी भी बड़े चाव से चाटते थे और चुपचाप इस खेल का हिस्सा बने रहते थे ।अपनी इस बफादारी के बदले में चेकपोस्टों को ठेके पर ले लेते थे फिर यह इन चेकपोस्टों पर नँगा नाच करते थे और जम कर वसुली कर के अरबों खरबों के बारे न्यारे करते थे अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस अवैध वसूली के लिए इनको कौन प्रेरित करता है आखिर इनमें इस तरह की हिम्मत कँहा से आती है कि रिटायर होने के बाद भी इंदौर में बस चुके एक पूर्व आर टी आई बुढ़ापे में भी विभाग का मोह, अरबो कमाने के बाद भी नही छोड़ पा रहे है अब भी यह इसी तरह से चेकपॉइंटों पर नंगा नाच कर मोहन सरकार को बदनाम करना चाहते हैं आखिर इनका असली मालिक कौन है जिनके सरंक्षण में यह बेलगाम हो चुके है ना जाने इन पर कब कार्यवाही होगी कब इन पर जांच एजेंसियां कार्यवाही करेंगी क्योंकि इनके रहते विभाग के हालात सुधारना मुश्किल ही नही नामुकिन सा प्रतीत होता है मोहन सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस तरह के आर टी आइयों को विभाग से बाहर का रास्ता दिखाया जाए ताकि परिवहन विभाग को भ्रस्टाचार से मुक्ति मिल सके ।
