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परिवहन सिन्डीकेड के 5 कुकर्मीयो के कुकर्म की सजा झेलता परिवहन विभाग से लेकर पत्रकार जगत

 

 

 

 

 

 

 

योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते

गांधी जयती स्पेशल

 

*खुलने लगी परिवहन विभाग के खलनायकों की पोल*
परिवहन विभाग को बर्बाद करने वाले पाँच खलनायकों की पोल अब खुलने लगी है इनके रुआब के चलते अक्सर खामोश रह जाने वाले अब धीरे धीरे मुखर हो रहे हैं हमारी जानकारी के मुताबिक तो शिकायतों का दायरा अब मुख्यमंत्री तक पँहुच गया है हमारे हाँथ एक शिकायत लगी है जो मुख्यमंत्री को की गई है जिसमें खुल कर एक समहू के बारे में चर्चा की गई है । इस शिकायती पत्र में इशारों ही इशारों में विभाग की बर्बादी के पांच किरदारों को उजागर किया गया है जिनमे से कुछ के बारे में हम आपको पूर्व खबरों में पहले ही बता चुके है मुख्यमंत्री को लिखी शिकायती चिठ्ठी में 2 आरटीआई एक पूर्व आरटीआई एवं हाल ही में विभाग को छोड़ चुके एक सिपाही का उल्लेख है और तो और इनके समूह के के सरंक्षक पूर्व मंत्री के प्रतिनिधि अपने वकील साहब के विषय मे भी लिखा है साथ ही पूर्व में किस तरह से यह लोग चेकपोस्ट ठेके पर लेते थे वह भी बताया गया है । पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से अवैध वसूली का धंधा इन लोगों ने शुरू किया था उसकी पराकाष्ठा यह है कि चेकपोस्टों पर वसूली के नाम पर शुद्ध गुंडई चल रही थी आये दिन ट्रक चालकों से मारपीट की जाती थी जिसकी वीडियो भी वायरल हुआ करती थीं पर मोहन सरकार के एक फैसले से इस गुंडई में रोकलग गई । अब यह विभाग को बर्बाद करने की कसम खाये विभाग के खलनायक किसी भी तरह से विभाग में अपनी पकड़ को बनाये रखने के लिए अपने ट्रांसपोर्टर साथियों के साथ मिलकर अपने ही स्टाफ को पिटवाने से भी नही चूक रहे हैं अब यदि मोहन सरकार को विभाग को वाकई सुधारना है तो इन खलनायको को निपटाना जरूरी है।

गांधी  तेरे देश में ये कैसा भ्रष्टाचार*

इंसानियत और मानवता की मिसालो वाले गांधी जी के देश में जिस तरह से परिवहन विभाग के पाँच खलनायकों ने गरीबों को सता कर हजारों करोड़ों रुपए वसूले हैं वो न केवल परिवहन विभाग अपितु पूरे देश पर बदनुमा दाग हैं हजरों करोड़ो रूपये की कमाई करने में जाने कितने लोगों पर अत्याचार इन लोगों ने किया है अरबो की संपत्ति खड़ी करने में जाने कितने ट्रक चालकों की आहे की ईंटें लगी हुई है यह वो लोग है जो हमारे लोगों पर अंग्रेजों से भी ज्यादा अत्याचार करते है इनका माई बाप केवल पैसा है यह देश के वो गद्दार हैं जो देश को दीमक की तरह खा रहे है एक अनुमान के अनुसार करीब 10 से 15 हज़ार करोड़ रुपये की बंदरबाँट इन पाँच खलनायकों ने की है उसमें भी एक पूर्व आरटीआई और वर्तमान में पूर्व मंत्री का क्लासमेट वाला आरटीआई तो मुख्य सूत्रधार हैं और इनसब के बाप पूर्व मंत्री के प्रतिनिधि वकील साहब इनके संरक्षक बने हुए हैं । अपनी अवैध कमाई के बल पर लोगों को चुप रखने में अब तक कामयाब हुए इन खलनायकों की पोल अब खुलने लगी है । पहले केवल खुलासा डॉट कॉम यह मुद्दा उठा रहा था अब इस सिलसिले में कुछ और भी लोग जुड़ गए है । अपने पैसे के बल पर इन्होंने ने खुलासा डॉट कॉम के संपादक योगेश शर्मा को भी डब्बाने का प्रयास किया पर योगेश शर्मा उन भगत सिंह चंद्रशेखर आज़ाद जैसे आजादी के मताबलों को आदर्श मानने वाला वो नवयुग का क्रांतिकारी पत्रकार है जो किसी भी दबाब भय और प्रलोभन में नही आता वो अपनी मुहिम बदस्तूर इसी तरह इन देश के गदारों के खिलाफ चलता रहेगा

*आखिर कब पंहुचेगी सीबीआई और ई डी इन परिवहन के खलनायकों के घर?*
परिवहन के खलनायकों के समहू जिसमें 2 वर्तमान आरटीआई एक पूर्व आरटीआई एक सिपाही और इन सब के माई बाप पूर्व मंत्री के प्रतिनिधि साहब ने दो आरटीआइयों को 18 चेकपोस्ट 3 संभागीय उड़नदस्ते तथा एक पूर्व आरटीआई को दो चेकपोस्ट और एक संभागीय उड़ानदस्ता आरक्षक को तीन चेकपोस्ट
विभाग से जुड़े दो प्राइवेट व्यक्तियों को चार चेकपोस्ट दिला रखी हैं जिस से करोड़ों की वसूली हर महीने इन लोगों की जेबों में जाती है यह चौड़ी रोड पर रोज होता है सब को दिखता है पर हमारी प्रदेश और देश की जाँच एजेंसियों को नही दिखता लोकायुक्त और ई डव्लू ओ में तो सैंकड़ो शिकायते लंबित पड़ी हुई हैं पर मजाल है कि एक भी पूरी हो जाये कई भ्रष्ट अधिकारी तो पैसे का बोल बाला दिखाकर लोकायुक्त और ई ओ डब्ल्यू को मुँह सा चिड़ा रहे हैं अब इनका कोई जांच एजेंसी पर्दा फास कर सकती है तो वो केवल केन्द्रीय एजेंशियाँ हैं क्योंकि प्रदेश की जाँच एजेंसियोन के तो हाथ से बाहर है ये लोग । यदि एड सीबीआई इनकी सम्पति और भ्रष्टाचार की जांच करें तो करीब 10 से 15 हज़ार करोड़ रुपये इन परिवहन के खलनायकों से बरामद हो सकते है जिन से जनता की भलाई के जाने कितने ही काम ही सकते है सैंकड़ो उन्नत स्कूल बनाये जा सकते है सैकड़ों हॉस्पिटल खोले जा सकते हैं युवाओं को रोजगार देने के लिए सैकड़ों स्वसहायता समूह संचालित किए जा सकते है सैकड़ों किलोमीटर सड़क बनाई जा सकती और भी जाने क्या क्या बस जरूरत है तो इन जैसे देश के गद्दारों की सही तरीके से जाँच करने की जो ई डी और सीबीआई ही कर सकती है क्योंकि इनके निवेश केवल प्रदेश तक ही सीमित नही है बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैले हैं और इस जांच में एजेंसियों को पूर्ण सहयोग खुलासा डॉट कॉम और उसकी टीम करेगी हमने तो वैसे भी इनकी पोल खोलने का बीड़ा पूरी ईमानदारी से उठा रखा है और लगातार इनकी करतूतों की खबर प्रदेश के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री तक अपनी खबरों के माध्यम से पँहुचा रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही कोई बड़ी कार्यवाही इन परिवहन और देश के गद्दारों पर होगी ।

*आखिर कौन है ये 5 कुकर्मी जिनके कुकर्मों की सजा झेल रहा पूरा परिवहन विभाग से लेकर पत्रकार जगत एंव प्रइवेट लोग*
जीं हां कुकर्मी शब्द जितना सुनने में बुरा लगता है उतना ही इन कुकर्म करने बाले से दूरी बनाना ही बैहतर है लेकिन आज परिवहन विभाग मप्र में ये 5 कुकर्मी मौजूद है जो पूर्व सालों से अपने राजनैतिक बापो की गोद में खेल रहे है और एक तथाकथित मंत्री इनकी अम्माओं का बाप बन कर इन कुकर्मियों को संरझण दे रहा है इसमें भोपाल का ही एक बकील और तथाकथित चैनल का मालिक है दूसरा एक आरटीआइ है जो भोपाल में परिवहन विभाग में पदस्थ है एंव इसके बारे में लोग बताते है की ये चमडी का पुराना पुजारी है और अधिकांश 35+ उम्र की महिलाओं का सोकींन है तीसर भी एक परिवहन विभाग का आरटीआइ है जो गुजरात सीम से सटे चैकपाइंट पर पदस्थ है और ये पूर्व से परिवहन की करोंडो रुपये की अवेध कमाइ को इंदौर में कलेक्ट कर भोपाल सप्लाइ करता है चौथा एक रिटायर्ड आरटीआइ है जो की इंदौर में रहता है और इसकी कमाइ की भूक किसी दरिंन्दे की भूक से अधिक है इसके हाथ पैर कब्र में जाने को बेताब है लेकिन इसको अभी भी नोटो की जवानी दिख रही है और पांचवा एक परिवहन विभाग से जुडा आरझक जिसे ठुल्ला कहते है जिसनें करीब 500 करोड की अवेध संपती बना ली है और यही इस परिवहन को बर्वाद करने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे आज भी आये दिन किसी ना किसी तरीके से फर्जी खबरे जानकारी इमानदारी से कार्य करने बाले टीएसआइओं एंव परिवहन स्टाफ को पहुंचाते रहते है और इन्ही पांच चोरो की कारगुजारी के चलते आज कइ पत्रकार बोराय गये है और तो और परिवहन विभाग में प्राइवेट काम करने बाले लोग तो आज समोसे के ठेले लगाने पर मजबूर है

 

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