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आखिर परिवहन सिन्डीकेड झुग्गी छाप आरझक क्यों बन गये परिवहन के बाप

 

  • योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते

  • परिवहन विभाग को सिन्डीकेड के जाल में फसाने बाला कौन 
  • परिवहन विभाग आज इस हालात में पँहुच गया है कि परिवहन सिंडिकेट का नेक्सेस आज विभाग को ही लीलने की तैयारी में है ,जैसा कि आप लोग जानते ही हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते है । पर जिस तरह से पिछले कुछ समय से लगातार विभाग में कुछ आर टी आई , प्रधान आरक्षक व आरक्षक अपने प्राइवेट फाइनेंसरों के साथ मिलकर विभाग पर दबाब बनाये हुए हैं उससे तो लगता है कि इन लोगों की जड़ें विभाग में बहुत गहरी जम गई है आखिर कैसे ये चंद पैसे की तनख्वाह पाने वाले आरक्षक और प्रधान आरक्षक विभाग को अपनी उंगलियों पर नचाते चले आये हैं । कौन लोग है जो इनको संरक्षण देते है आज हम कुछ इसी तरह के बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे की परिवहन विभाग में उगे इस भ्र्ष्टाचार के पौधे को किसने खाद पानी दिया । यह जहर उगलने वाला पौध एक या दो महीने में विशाल व्रक्ष नही बनाना है बल्कि विभाग के ही किसी सिस्टम के तहत यह कुछ वर्षों से फलाफूला है

*सूत्र पूर्व मंत्री और उसका खास आदमी है जिम्मेदार?*
परिवहन विभाग में भ्र्ष्टाचार के बीज का रोपण 2018 में मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही हुआ जैसे ही तात्कालिक सरकार ने मंत्रीमंडल का गठन किया तो परिवहन मंत्री के साथ ही विभाग में उनके खासम खास लोगों ने भी प्रवेश कर लिया कुछ एक परिवहन के अधिकारी जो आज इस दुनिया मे नही है वो भी परिवहन मंत्री के पास पँहुच गए बस यहीँ से परिवहन विभाग में खेला शरू हुआ मंत्री के खास कोइ श्रीवास्तव व परिवहन विभाग के इन्ही अधिकारी ने मिलकर पोस्टिंग ट्रांसफर और रोटेशन का खेल खेलना शुरू किया । श्रीवास्तव अब इस खेल को बेहतर ढंग से समझ चुके थे बस जरूरत थी तो उनको कुछ विश्वासपात्र कर्मचारियों की जो उन्हें जल्द ही मिल भी गए अब सालों एक ही चेकपोस्ट पर जमे रहने के लिए चेकपोस्टों की बोली लगने लगी और जो ज्यादा पैसा बोलता वो चेकपोस्ट उसको मिलती फिर क्या इन आरक्षकों और प्रधान आरक्षकों ने कुछ ऐसे प्राइवेट लोगो को चेकपोस्टों से जोड़ना शुरू किया जो उनकी पोस्टिंग के एवज में पैसे दे सकें चेकपोस्ट मिल जाने के बाद ये फाइनेंसर पूरी चेकपोस्ट पर अपने आदमी खड़े कर लेते थे और फिर शुरू होता था अवैध वसूली का खेल जिसको छुपाने के लिए कुथ दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकारों को भी थोड़ी थोड़ी मलाई चटाई जाती थी ताकि कोई उनकी इस भ्र्ष्टाचार की पोल न खोल दे यह खेल बदस्तूर यूँही चलता रहा और करीब डेढ़ साल में सियासत ने करवट बदली और प्रदेश में फिर एक बार भाजपा की सरकार आ गयी पर सत्ता के इस परिवर्तन की मजबूरी के चलते कोई परिवर्तन परिवहन विभाग में नही हो पाया जिसकी वजह से श्रीवास्तव जैसे लोगों को और अधिक मौका मिल गया । वे बेधड़क अपने काम को अंजाम देने लगे जिसके चलते पूरा परिवहन विभाग सिंडिकेट की गिरफ्त में चला गया । पर समय फिर बदला और 2023 में मोहन यादव ने प्रदेश की कमान संभाली और परिवहन विभाग को दुरुस्त करने के लिए कई कड़े कदम उठाए पर पूर्व मंत्री के खासों ने जो खरपतवार विभाग में उगाई थी वो आज विभाग को सुधारने में कांटा बन रही है ।

*आरक्षको को चेकपोस्ट का ठेका देना भी है परिवहन विभाग की बर्बादी का कारण*
तमाम जिम्मेदार अधिकारियों को बायपास कर सिपाही तक कि पोस्टिंग पूर्व मंत्री के कार्यालय से होने की वजह से पूरा पदसोपान चरमरा गया था जिसके चलते परिवहन विभाग में अनुशासन ही खत्म हो गया था और छोटे छोटे सिपाही भी पैसे के बलपर अपना रुतवा दिखाने लगे थे कुछ सिपाहियों का तो सीधा संबंध ही मंत्री या मंत्री कार्यालय से था वो लोग सालों से एक ही चेकपोस्ट पर बने हुए थे सूत्रों से खबर है  कोई सिपाही रितू सुक्ला सागर से है और पूर्व परिवहन मंत्री की खास है  दूसरा बालाघाट में पदस्थ पूर्व प्रधान आरझक अंसारी एंव तीसरा पूर्व आरझक सौरभ शर्मा था और तो और सूत्र बताते है की आर टी आई तुमराम पूर्व मंत्री जी का सहपाठी(क्लासमेट) था इसलिये तीन वैरियर ठेके पर लेगा वो भी मलाईदार सेंधवा मोतीनाला मोरवा जैसे अब नाम मत पूछना साहब आज कल भोपाल कैम्प ऑफिस में बैठते है जिन पर आयुक्त महोदय के नाम पर पाँच पाँच लाख लेकर प्रमोशन करवाने की खबर चल रही है मार्केट में इनके अलावा एक और है जो किसी ब्लू नैक का खास आदमी था पर जाने कैसी जादुई छड़ी उसने घुमाई की मंत्री के खास आदमियों में से एक हो गया हाल ही में इन्होंने आरक्षक के पद से इस्तीफा दिया है इस्तीफा भी इनका क्यों हुआ उसके बारे में किसी और खबर में बताएंगे पर फिलाल ये सौरभ शर्मा जी जिनका कोई खास फाइनेंशियल बैकग्राउंड भी नही है अपनी चंद हज़ार रुपये की तनख्वाह में लाखों करोड़ों रुपये के पांच पांच चेकपोस्ट ठेके पर लिए हुए थे सूत्रों की माने तो ये दिल्ली तक घूम आये की कोई इन्हें फिर से चिरुला मालथौन खबासा खड़ई पडौर ठेके पर दिला दे । और भी कई लोग है जिन सभी के विषय में लिखना सम्भव नही है पर मोटे तौर पर बिल्कुल यह कहा जा सकता है कि परिवहन विभाग की बर्बादी में इन आरक्षकों भी बड़ा हाँथ है अब यदि मुख्यमंत्री वाकई इस विभाग को सुचारू रूप से चलना चाहते है तो पूर्व परिवहन मंत्री के समय जो ठेका प्रथा शुरू हुई थी उसे खत्म करना पड़ेगा उसके लिए सब से पहले पदसोपान को दुबारा लाना होगा और विभाग के हर आला अधिकारी को उसकी जिम्मेदारी के लिए उत्तरदायी बनाना होगा । और विशेष तौर पर प्रवर्तन आयुक्त की आरक्षकों व प्रधान आरक्षकों की निलंबन व पोस्टिंग के लिए जबाबदेहिता तय की जानी चाहिए ताकि विभाग में अनुशासन आ सके । और अच्छा काम करने वाले लोग सामने आ सकें और रेवन्यू बढ़ायें।

*परिवहन सिन्डीकेड आरटीआइ एंव सिन्डीकेड आरझकों के बीच में पिस रहे इमानदार टीएसआइओं की सुनने बाला कोइ नही*
जी हां जब से परिवहन सिन्डीकेड शुरू हुआ था तब से लेकर आज‌ दिनांक‌ तक पढे लिखे इमानदार टीएसआइओं को गेंहू की चक्की में आटे की तरह पिसना पढ रहा है और उन इमानदार टीएसआइओं को सिर्फ और सिर्फ परिवहन चैकिंग पाइंट पर डमी के रूप में काम करना पढ रहा है आलम तो यह है की एक दो कोडी का परिवहन विभाग का सिन्डीकेड बाला शिपाही इमानदार टीएसआइओं को हुकुम देता है जबकी एक टीएसआइ सालों की दिन रात की पढाईं करने के बाद पीएससी जैसे कठिन पेपर को पास करके इस पद पर आते है लेकिन इन टीएसआइओं की सुनने बाला कोइ नही और इन सभी का मुख्य कारण है परिवहन विभाग का सिन्डीकेड और इस सिन्डीकेड में चमडी के धंधो से लेकर सभी गंदे काम किये जाते है वही अगर कइ इमानदार महिला टीएसआइ भूल से इस सिन्डीकेड का विरोध कर दे तो उसे ये सिन्डीकेड उस टीएसआइ को डमी बना कर प्राइवेट कटरों एंव दो कोडी के ठुल्लों की गुलामी में लगा देता है अगर वही दूसरी और देखा जाये तो सूत्र बताते है की आरटीआइ तुमराम एंव आरटीआइ किशोर बघेल इस सिन्डीकेड के महामहिम किसी श्रीवास्तव के चेले है और जब तक इस परिवहन सिन्डीकेड को खत्म नही किया जायेगा तब तक इमानदार टीएसआइओं को दिन रात पीसा जायेगा और प्रदेश के मुखिया सीएम साहब से इतना कहना चाहेंगे की इस परिवहन सिन्डीकेड पर लगाम लगाइ जाये एंव परिवहन विभाग में होने बाली पोस्टिंग रोटेशन आदी कार्यों की जिम्मेदारी परिवहन मंत्री परिवहन टीसी एंव एडी टीसी प्रवर्तन को दी जाये जिससे इस विभाग में कार्य पारदर्शिता के साथ होने लगेंगे अगली खबर में हम एक नये खुलासे में बतायेंगे की मप्र के सबसे बढे चैकपाइंट सैधबा में आरटीआइ क्यों पढा रहता है अपने इन्दौर बाले घर पर और एक बैचारी इमानदार टीएसआइ सुमन दीझित के भरोसे छोड दिया इस चैकिंग पाइंट पर सत्यमेव जयते

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