योगेश शर्मा नाम ही काफी है सत्यमेव जयते

वर्षों से चली आ रही परिवहन विभाग ट्रान्सफर रोटेशन पालिसी सिन्डीकेड और नेताओ के हाथ में टीसी सिर्फ नाम मात्र के**
जी हां आज हम आपको जो बताने जा रहे है वो आज तक ना ही किसी अखबार या चैनल ने इस मुद्दे को नही उठाया होगा लेकिन हम आपको बताते की बर्ष 2020 कांग्रेस सरकार आने के बाद परिवहन विभाग में आरटीआइओं एंव टीएसआइओं के रोटेशन होना बंद कर दिये गये वर्ष 2020 के पहले नियमनूसार परिवहन अमले के रोटेशन हुआ करते थे लेकिन अब रोटेशन पालिसी जीरो साबित हो रही है वही बता दे की एक नजर नियमों पर डाली जाये तो तो परिवहन विभाग के चैकपोस्टों पर पदस्थ परिवहन आरटीआइ एंव टीएसआई एंव सिपाहियों का हर 6 माह में रोटेशन नियम में था और इस नियम में चैकपोस्टों पर पदस्थ आरटीआइ एंव टीएसआइ को 6 महिने चैकपोस्ट पर रहने के बाद आयुक्त कार्यलाय या फ्लाइंग में पदस्थपना करना नियम में था लेकिन कांग्रेस सरकार के नेताओं ने परिवहन विभाग के सिन्डीकेड मेंबरों से सांठगांठ कर अपना अलग ही एकतरफा राज चलाया वही परिवहन विभाग में पदस्थ आयुक्त को सिर्फ विभाग की कुर्सी पर नकली पुतला बना कर नाम मात्र के लिये बिठा दिया उनके हाथों से सारी पावर छीन ली गई इन आइपीएस अधिकारियों की ऐसी स्थति कर दी की वे एक सिपाही तक का ट्रान्सफर नही कर सकते थे वही आज दिनांक तक परिवहन विभाग में हर 6 माह में आरटीआइ एंव टीएसआइ रोटेशन पालिसी लागू नही हुइ परिवहन सिन्डीकेड और नेताओं की पक्की यारी के चलते इस रोटेशन पालिसी आज तक लागू नही की और इसकी मुख्य बजह सूत्र बताते है ( मोटा माल मोटा पैसा) जो भी आरटीआइ टीएसआइ इस (मोटा माल मोटा पैसा)बाली कहावत को समझ जाता और सूटकेश भर के मोटे माल को अपने भोपाल में बैठे आकाओं के चरणों में समर्पित कर देता उसे अपनी मन मर्जी का चैक पोस्ट गरीब ट्रक चालकों से लुटाई करने को मिल जाता था और हर 6 माह बाद जब रोटेशन का समय आता है तो सिन्डीकेड आरटीआइ अपने अपने आकाओं के पास पहुंचकर उन आकाओं का पसंदीदा खुशबू बाला तेल लेकर पहुंच जाते और रोटेशन के नियमों का उलंघन कर अपने भोपाल में बैठे राजनैतिक आकाओं को सूटकेश भेंट कर दूसरे बढ़ें बैरियर पर पदस्थ हो जाते थे और साथ में 1 बैरियर की जगह 4-5 बैरियर अपने नाम कर लाते थे और अन्य बचें इमानदार आरटीआइ एंव टीएसआइ को अपने बैरियरों पर डमी बना कर नियुक्त कर देते थे वही सूत्रो से खबर है की परिवहन यह कार्य पूर्व से चला आ रहा था और इस कार्य का सबसे बढा खिलाडी भोपाल में बैठा एक प्राइवेट व्यक्ति जिसे इस पूरे परिवहन विभाग का सिन्डीकेड संस्थापक माना जाता है और वो एक (लाला बुद्धीजीव) है और उसका साथी परिवहन विभाग का सिपाही था और 3-4 आरटीआइ एंव 2-3 महिला टीएसआइयों के साथ इनका झूटन खाने बाले कुछ तथाकथित दल्ले पत्रकार थे और इसी का नाम था परिवहन सिन्डीकेड किस आरटीआइ को कहां पोस्टिंग देनी है किसे डमी बनाना है किसको कितना पैसा लेना देना है यह सभी कार्य यह परिवहन सिन्डीकेड के मेंबरों के ऊपर निर्भर करता था वहीं जैसे जैसे समय बीतता गया सिन्डीकेड का मैन संस्थापक ( एक पूर्व मंत्री का खास लाला बुद्धीजीव) का विदाई समारोह आ गया और इस पूरे सिन्डीकेड को भोपाल के 4 व्यक्तियों के हाथ में दे दिया गया और ये 4 लोग सिन्डीकेड की पूरी व्यवस्था को चलाने लगे इसके साथ है परिवहन विभाग का एक सिपाही ने अपनी नौकरी से इस्तिफा देकर इन 4 लोगो सेे यारी कर ली और प्रदेश के 4-5 बढे परिवहन बैरियर ठेके पर ले लिये उन बैरियरों के नाम है सैंधबा.मालथोन.चिरूला.खबासा
कैहमा. आदी इन परिवहन बैरियरों से करोंडों रुपये की उगाही अपने प्राइवेट दलालों द्वारा कराने लगा जिससे हर वर्ष करोडों रुपये के सरकारी राजस्व की हानी होना लाजमी है।।।।।
*सूत्र राजनीतिकरण लोगों एंव परिवहन सिन्डीकेड मेंबर का गठजोड से लागू ठेका पद्धती कब कहां कैसे*
परिवहन विभाग बैसे तो मप्र सरकार के सबसे बढे विभागो में से एक है क्योकी इस विभाग से सरकार को हर वर्ष अच्छा राजस्व मिलता है लेकिन जब से परिवहन विभाग सिन्डीकेड के जाल में फसां है तब इस विभाग का बंटा धार शुरू हो गया है लेकिन इस विभाग को चलाने बालें सिन्डीकेड मेंबर जो पूर्व में सडकों पर तेल चटाई लेकर दिखा करते थे आज वे अरबों की संपती के मालिक बन गये है इसका सबसे बडा कारण है परिवहन विभाग के परिवहन चैक पोस्टों का (ठेका) जी हां ठेका आज कल बहुत प्रचलन में है क्योकी इस ठेके के ठेकेदार दलाल.कुछ परिवहन आरटीआई. कुछ महिला टीएसआइ.कुछ तथाकथित दल्ले पत्रकार. सिपाही. प्राइवेट ड्राइवर आदी है इन्होनें पूरे परिवहन।विभाग का ठेकाकरण कर विभाग की लंका लगा दी है और कार्य सन 2020 के बाद से शुरू हो गया था और पूर्व परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव के बाद से इन परिवहन चैकपोस्टों को ठेके पर लेने का प्रचलन शुरू हो गया था और आज दिनांक तक वही ठेका प्रचलन संचालित किया जा रहा है और सूत्र बताते है की इस परिवहन विभाग में पदस्थ सिन्डीकेड आरटीआइ और भोपाल में बैठे तथाकथित कुछ नेता इस ठेका पद्धती को और बढावा दे रहे है मप्र में कुल 45 परिवहन चैक पोस्ट है और इनमें से करीब 10-12 बैरियर जिनसे सबसे जादा माल उगाही होती है इन ठेकों के ठेकेदार कई आरटीआइ एंव प्राइवेट व्यक्तियों के हाथ में है और इन बैरियरों का ठेका देने बाले राजनैतिक लोग एंव भोपाल में किसी मंत्री के खास 4 ऐसे व्यक्ति है जो परिवहन विभाग से लेकर आबकारी विभाग की सभी लेन देन भूल चूक सम्हाल रहे है और इस बात की जानकारी बढ अखबारों में कार्यरत पत्रकारों को भी है लेकिन ये पत्रकार इन ठेकेदारों की गुलामी कर हर माह लाखों रुपये भीक में लेते है और अगर फिर भी इन दल्ले पत्रकारों की भूंक नही मिटती तो ये परिवहन विभाग में बैठे इमानदार पावर लैस आयुक्त और आरटीओं को ब्लैकमेल करने में भी कोइ कसर नही छोड रहे वास्तविकता में परिवहन विभाग बैरियरों को ठेके पर देने में सबसे बढा हाथ सिन्डीकेड नेता एंव दल्ले ब्लेकमेलर पत्रकारों का ही है और इन्ही दल्ले ब्लेकमेलर पत्रकारों की कार्यशैली के चलते इमानदारी से कार्य करने बाले पत्रकारों की बदनामी हो रही है।।।।।।
*आखिर क्यों भ्रष्ट सिन्डीकेड परिवहन आरटीआइ एंव दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकारो पर कार्यवाही नही करती लोकायुक्त इओडब्ल्यू*
मप्र सरकार में अहम भूमिका निभाने बाली दो जांच एजेन्सियां लोकायुक्त एंव इओडब्ल्यू है ये दोनो ही जांच एजेन्सियां प्रदेश में सरकारी विभागों में पदस्थ कर्मचारियों एंव अधिकारियों पर भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्यवाही करती है लेकिन ये बात सुनने में बढी अच्छी लगती है लेकिन देखने में आम आदमी की आंखे अंधी हो जाती है और शिकायतकर्ता की टांगे लंगडी होना भी लाजमी है इस बात हम नही प्रदेश भर के शिकायतकर्ता बताते फिरते है अब बात करते है प्रदेश के सबसे मलाईदार विभाग परिवहन विभाग में पदस्थ भ्रष्ट कर्मचारी एंव अधिकारियों की क्योकी सूत्रों से जो खबर चीख चीख बता रही है की इस परिवहन विभाग में ऐसे कई भ्रष्ट पूर्व आयुक्तों से लेकर पूर्व प्रवर्तन आयुक्त एंव आरटीआइ और टीएसआइ पदस्थ है जिनपर अरबों की अबैध संपती बना ली है है और यह करोडो अरबो की संपती इन भ्रष्ट परिवहन अधिकारियों ने गरीब ट्रक डाइवरों का खून चूस चूस कर बना ली वही सवाल यह खडा होता है आखिर लोकायुक्त एंव इओडब्ल्यू जितनी फुर्ती में पटवारियों एंव सरकारी बाबूओं पर कार्यवाही करती है तो क्या इन दोनो विभागों की कार्यवाही पटवारियों तक ही सीमित है क्यों है क्यो हमेशा छोटी भ्रष्ट मछलियों का ही शिकार लोकायुक्त करती है और उन बढे भ्रष्ट परिवहन विभाग के मगरमच्छों का क्या जो दिन में लाखों और रातों में करोडों के बारे न्यारे करने में मस्त है वही देखा जाये तो परिवहन सिन्डीकेट से जुढे आरटीआइओं के रिकार्ड देखे जाये की कैसे ये पिछले कई सालों से बढे बढे परिवहन बैरियरों पर पदस्थ होकर क्या ट्रक चालकों को पानी पिलाने कार्य करते थे या फिर उनका खून पीते थे यह भी जांच का विषय है वही इन शासकीय दामादों से हटकर एक नजर उन दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकारों पर भी डाली जाये तो ये कइ ब्लैकमेलर दल्ले पत्रकार भी किसी से कम नही है क्योकी इन तथाकथित दल्ले पत्रकारों ने भी भ्रष्ट परिवहन अधिकारियों के यहां खूब चमडे के जहाज सप्लाइ किये है और इन्ही जहाजों के ड्राइवर बन इन ब्लैकमेलर दल्ले पत्रकारों ने बी बहुत माल कमा लिया है अगर देखा जाये तो इन पत्रकारों के पास एक छोटा सा अखबार या फिर फर्जी सा न्यूज चैनल है और आज के दौर में ना इन अखबारों को इतने विग्यापन मिलते तो और नाही इन अखबारों को कोइ खरीदता एंव पढता है तो आखिर इन भ्रष्ट ब्लैकमेलर दल्ले पत्रकारों पर इतनी संपती कैसे आ गइ यह भी जांच का विषय है और एक अच्छी जांच ऐजेन्सियों को इनके 10 साल पुराने रिकार्ड खगांलने की जरूरत है तब इन दल्लों पत्रकारों की कलई खुल जायेगी।।।
ट्रान्सपोर्ट यूनीयन बालें सिर्फ और सिर्फ क्यो करते है परिवहन विभाग की शिकायत जबकी माल खाते दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकार.राजनैतिक लोग.जिले के अधिकारी सूत्र*
जीं हां ये सवाल बढा उम्दा है और 100% सत्य है की आखिर ट्रान्सपोर्ट एसोसियेशन सिर्फ और सिर्फ परिवहन विभाग की शिकायते ही क्यूं करता है जबकी इसका जबाव हम आपको देते है सूत्र बताते है की किसी भी परिवहन बैरियर से दिन प्रतिदिन हजारों वाहन निकलते है और हर वाहन अपने वाहन के प्रति चक्के के हिसाब से पैसा देता है और प्रति दिन इन बैरियरों से हजारों वाहनों से लाखों की अबैध वसूली परिवहन विभाग की आड में बाहरी व्यक्ति जादा करते है और सूत्र तो बताते है की प्रतिदिन पैसों का कलेक्शन होता है और इस कलेक्शन का हिस्सा परिवहन सिन्डीकेड आरटीआइ से लेकर तथाकथित ब्लैकमेलर पत्रकारों राजनैतिक व्यक्तियों एंव जिले में पदस्थ कइ भ्रष्ट अधिकारियों तक पहुंचता है लेकिन फिर भी ट्रान्सपोर्टर ऐसोशियेसन परिवहन विभाग की ही शिकायत अक्सर करता जबकी देखा जाये तो परिवहन बैरियर पर सिन्डीकेड द्वारा पदस्थ किये हुये दलालों से जादा माल अन्य विभागों के व्यक्तियों को जाता है और तो और जो दल्ले पत्रकार आये दिन ट्रक यूनियन बालो का हवाला देकर उनके समर्थन में खबरे लिखते है वास्तविकता में वही दल्ले तथाकथित ब्लैकमेलर पत्रकार ही सबसे जाता ट्रक चालकों से दी हुई बसूला का ऐक बढा हिस्सा हर माह पाते है इस हिसाब से शिकायत तो उन व्यक्तियों की भी होनी चाहिये जो परिवहन विभाग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे है
