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दल्ले ब्लैकमेलर पत्रकारों का परिवहन विभाग बाला भ्रष्ट बाप

 

 

 

 

 

 

 

  1. योगेश शर्मा नाम ही काफी है ( सत्यमेव जयते)

*सूत्र परिवहन विभाग में बैठा तथाकथित दल्ले पत्रकारों का 500 करोड की संपती बाला बाप जिस पर लगे है कइ भ्रष्टाचार के आरोप आये दिन लोकायुक्त करती जांच*
जी हां कहा जाता है की इस संसार में बाप एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपनी औलाद खुशी के लिये खुदा से भी लड जाता है और यही आलम परिवहन विभाग का है जहां एक ऐसा बाप बैठा हुआ है जो अपना मुंह बोली तथाकथित दल्लें पत्रकारों को पाल रहा है और वे पत्रकार भी अपने परिवहन विभाग में बैठे बाप की सेवा जी जान से करते है और यही परिवहन विभाग बाला बाप आज 500 करोड रुपये की अवेध संपती का मालिक बना बैठा हुआ है और ना जाने कितनी जांच एजेन्सियों को अपनी जेब में रखकर खूमता हैं एंव कुछ फर्जी टायप के ब्लेकमेलर पत्रकार इसी बाप का झूटन खा खा कर आज लग्गजरी कारों से घूम रहे है और मंहगी सोसाइटियों में रहे है और इन्ही ब्लेकमेलर पत्रकारों का परिवहन बाला बाप। इन्हे अपने ही विभाग में पदस्थ इमानदार आरटीआइ एंव अधिकारियों की फर्जी जानकारी देता रहता है और इन्ही भ्रामक जानकारियों को ये ब्लेकमेलर फर्जी टायप के पत्रकार अपने 1 पेज के अखबार जो ना की कभी छपता भी है सिर्फ पीडीएफ के बलबूते पर चलने बाले अखबारों की हैडलाइन बनाकर उन इमानदार अधिकारियों को ब्लैकमेल करते है

*पूर्व परिवहन अधिकारी वी मधु कुमार को फँसाने का भी दम्भ भरते हैं यह दल्ले पत्रकार*
करीब पांच वर्ष पूर्व जिस तरह से मधु कुमार ने परिवहन कार्यालय में सख्ती कर नियम कायदे से चलने की हिदायत वँहा के कर्मचारियों को दी थी उसके चलते दल्ले पत्रकार उनके बाप और कटरों को वो नावगार गुजरी थी । जिसके चलते एक फर्जी पुराना फुटेज वायरल किया गया और उसे इन तथाकथित दल्ले पत्रकारों ने इतना बढ़ा चढ़ा के छापा की मजबूरन एक ईमानदार आई पी एस अधिकारी को तत्कालिक सरकार ने निलंबित कर दिया पर कहते हैं इमानदार व्यक्ति परेशान हो सकता है पर परास्त नही तो वी कुमार लोकायुक्त की जांच में बेदाग साबित हुए । पर यह भी मानना पड़ेगा कि यह दल्ले पत्रकार और उनका बाप भी अपने मकसद में कामयाब हो गए थे । अगर देखा जाए तो एक बार फिर परिवहन विभाग एक नेक व ईमानदार हांथों में है जो इन दल्ले पत्रकारों और इनके बाप को अखर रहा है और यह गठजोड़ एक बार फिर वही वी मधुकुमार वाली कहानी दौहरने के चक्कर मे है।

*तथाकथित दल्ले पत्रकारों के बाप की तूती बोलती थी भोपाल में*
जी हां इन दल्ले पत्रकारों का बाप जो कि सीधी भर्ती से परिवहन विभाग में एक छोटे से पद पर आया था उसने बड़े बड़े घाघ आई पी एस अधिकारियों को अपनी उंगलियों पर नचाया है और इसके लिए इसकी औलादों यानी कि दल्ले पत्रकारों ने उसका बखूभी साथ दिया है । जिसमें ये दल्ले पत्रकार हर चीज से सहयोग करते थे और हर वो चीज जो आईपीएस अधिकारी मांगता था वो उपलब्ध कराते थे यदि इनके पिछले सभी कंप्यूटर लेपटॉप और मोबाइलों की गहन जांच हो तो जाने कितनों के काले चिठ्ठे सामने आ जाएंगे । एक जांच आय से अधिक संपत्ति की इन दल्ले पत्रकारों की भी होनी चाहिए आखिर इतनी सम्पति इनले पास आई कँहा से ना तो ये कोई खास व्यापार करते है ना ही इनके एक पन्ने के अखबार को कोई विज्ञापन देता है रहसह के वो ही सरकारी विज्ञापन आ जाता है और फिर कई दल्ले पत्रकार तो बंदरबाट में अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए इस तरह से कुत्ते बिल्लियों की तरह लड़े हैं कि उनकी लड़ाई नचनिया चमड़े के जहाज और जाने क्या क्या तक पँहुच गयी थी । अबे इन्हें कोई सभ्य पत्रकार कैसे लिख दे जब इनका ईमान धर्म सब केवल वशूली है और कुछ नही । इनके पिछले एक साल के अखबार उठा कर पढ़ लो जो ये एक पन्ने का बना कर वायरल करते है सिवाय ब्लैकमेलिंग जैसी खबरों के या फिर अपने परिवहन के बाप के आदेश पर किसी ईमानदार अधिकारी की छवि खराब करने के अलावा कुछ नही छापा मिलेगा बाकी इंटरनेट से खबरे उतार ली जाती हैं । और इसी तरह की पत्रकारिता के आधार पर ये अपने आपको पत्रकार और बाकी सब को फर्जी पत्रकार कहते हैं जिस तरह से परिवहन विभाग में रेवड़ियां बन्द हुई है तब से इन्होंने कोहराम मचा दिया है और अपने एक पन्ने वाले पीडीएफ अखबार में परिवहन के अधिकारियों और प्रदेश के मुखिया तक को गरियाने से भी पीछे नही रहे मेरी तो केवल मुख्यमंत्री जी से एक ही गुहार है कि ऐसे दल्ले पत्रकारों की ई ओ डव्लू व लोकायुक्त की जांच कराई जाए और इनकी अभी तक छपी खबरों व शिकायतों पर जांच की जाए और पता लगाया जाए कि कैसे ये खबर को प्लांट करते है कुछ दिन खबर चलते है फिर सांठ गांठ कर खबर व शिकायतों को कचरे के डब्बे में डाल देते हैं ।

 

 

 

 

 

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