matbet giriş matbet

इमानदार एसपी आइजी की छवी को धूमिल करने पर उतारू शहर के कुछ थाना प्रभारी

 

 

योगेश शर्मा सत्यमेव जयते

 

 

*SP ,IG के पांच नाक कटुआ टी आई झांसी रोड, बोहडापुर, हजीरा, डबरा महाराजपुरा*
ग्वालियर । किस तरह एक निकम्मा कर्मचारी अपने बॉस की नाक काटता है इसका सटीक उदाहरण आजकल ग्वालियर के पांच थाने के टी आई बने हुए हैं इनके निकम्मेपन की वजह से शहर के पुलिस अधीक्षक और महानिरीक्षक का सर शर्म से झुका हुआ है ये पांच न केवल अपराध को रोकने में अक्षम है बल्कि इनकी वजह से शहर का क्राइम रेट भी बढ़ गया है और हद तो तब हो गई जब इनके नकारेपन की वजह बढ़ते अपराध का शिकार उत्तर प्रदेश के एक मंत्री हो गए और आगरा से ललितपुर जाते समय उन पर जौरासी के पास करीब दर्जन भरलोगों ने हमला कर दिया । लगतार शहर के इन थानों में दिन व दिन अपराधी बेख़ौफ़ होते जा रहे है इन थानों में बसे आदतन अपराधियों के ऊपर से पुलिस का ख़ौफ़ लगभग खत्म हो चुका है और इन थानों में बस वसुली का खेल चल रहा है इन थानों में जुए सट्टे नशे व देह व्यापार अपनी चरम सीमा पर है और इन थानों के जिम्मेदार कंबल ओढ़कर घी पी रहे है अब इन अवैध कारोबार की वजह से जनता परेशान है तो उनको क्या पर अब इन अवैध कारोबारों के सरक्षण की वजह से शहर का क्राइम रेट बढ़ गया है और अपराधी इतने बेख़ौफ़ है कि आये दिन गोलीवारी मारपीट व मर्डर की घटनाएं आम हो गई हैं

*बेख़ौफ़ बदमाशों को थाने के टी आईओं की शह और टीआइओं को राजनैतिक आकाओं की सह*
यह बात कहना सही है की ग्वालियर के ऐसे कई थाने है जिनके थाना प्रभारी अपने राजनैतिक आकाओं की गुलामी करते है वे थाना प्रभारी सिर्फ अपने राजनैतिक आकाओं की हिसाब से कार्य कर रहे है वही सूत्र तो बताते है की ये थाना प्रभारी अपने एसपी और आइजी तक की नही सुनते और सुने भी क्यों सरकार हमारी है नेता हमारे है और किसी क्या मजाल जो छेडे हमें सीधा भोपाल से फोन करा देंगे आलम यह है वही टीआइ पुलिसिंग की पहली कड़ी है जो शहर के लॉ एंड आर्डर को सीधा सरोकार रखती है यदि इसी कड़ी में जंग लग जाये तो शहर में कि चाहे कितने भी अनुभवी अधिकारी हों कानून व्यवस्था बिगड़ ही जाएगी अब जिस तरह टी आइयों ने ग्वालियर में अपराधियों को छूट दी है उससे तो लगता है कि इनकी अपने अधिकारियों से कोई खुन्नस है या फिर यह थाने में रहने लायक ही नही है । शहर में एक ओर जँहा अपराध बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ ये अपराधियों के साथ मिल कर एंट्री पॉइंटों पर वसुली करा रहे है और कोई पत्रकार इनकी नाकामी दिखाए तो ये उसे अपना पुलिसिया ख़ौफ़ दिखाते है । शहर में पुलिस की गश्त तो ऐसे गायब हुई है जैसे गधे के सर से सींग रात को केवल शहर के एंट्री पॉइंट के अलावा पुलिस कँही नही दिखती और तो और कोई पीड़ित थाने में शिकायत लेकर पँहुच जाए तो जरूरी नही है कि आपकी कम्पलेंट लिख ही ली जाएगी यदि आपको पीड़ित करने वाले कि जेब ज्यादा बड़ी है तो हो सकता है आप पर ही एफ आई आर हो जाये ।

*शहर में फल फूल रहे है अवैध धंधे*
एक अच्छे शहर की पहचान उसकी कानून व्यवस्था से होती है और जिस शहर में पुलिस नशे और अवैध वसूली के कारोबार को बढ़ावा देती है उस शहर में लॉ एंड आर्डर कभी लागू नही हो सकता है क्योंकि नशा किसी भी अपराध की जननी है जैसे जैसे शहर में नशे के कारोबार बढेगा वैसे वैसे अपराध भी बढ़ेगा क्योंकि यह वो कड़ी है जो न केवल अपराधियों को पोषित करती है बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी करती है शहर में हर चौपाटी और नॉनवेज के ठेले के पास दर्जनों अपराधी शराब पीते दिखना ग्वालियर शहर में आम है और थोड़ी वहुत कोर कसर राह जाती है तो उसे पूरा शहर में चल रहे चकलाघर पूरी कर देते है इन सब से थाने के सिपाही वशूली करते है बदले में अपनी आंखें बंद कर लेते है अब इस बन्द आंख का फायदा शहर के आदतन अपराधी भी उठा लेते है । हम तो बस शहर के sp और ig से इतना ही कहेंगे कि इन निकम्मों को जितनी जल्दी हो सके थानों से हटाया जा जाए नही तो शहर इसी तरह अपराध का दंश झेलता रहेगा

*बढते अपराधों का मुख्य कारण अपराधियों की जमानत*
जी हां आज अगर देखा जाये शहर के अधिकांश गुन्डों को यह बात पता है की वे कोइ भी अपराध कर लें तो जादा से जादा क्या होगा पुलिस गिरफ्तार करेंगी विवेचना करेगी और आखिर में न्यायलय में पेश करेंगी उसके बाद आखिर हमें हमारा वचाव पझ का बकील जमानत पर छुडा ही लेगा और यही सोच लेकर ये गुन्डे आये दिन अपराध कर रहे है वैसे अगर वास्तविक्ता में देखा जाये तो न्यायलय में बचाव पझ के बकीलों की संख्या बहुत जाता है और सरकारी बकील गिने चुने है कानून के नियमों में बदलाब तो हो गया लेकिन सजा के प्रवधानों में कोइ बदलाब नही उदाहरण देखा जाये तो कोइ व्यक्ति जिसके उपर 20-25 अपराध दर्ज है लेकिन फिर भी वह शहर में देशी कुत्तों की तरह घूम रहा है और क्योकी वह केश में जमानत लेके आया है अब वह गुन्डा खुले आम किसी भी आम आदमी को काटने की उतारू है क्योकी उसे पता है की वो कोइ भी अपराध करेगा उसका वकील उसे छुडा ही लेगा तो बात से हम यह समझ सकते है माननीय न्यायालय‌ को इस आदतन अपराधियों को कठोर सजा देना चाहिये ना की इन्हे जमानत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *