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पिता ने ही कर दी आपनी बेटी की हत्या आखिर ऐसी क्या मजबूरी जो पिता बना हैबान

ग्वालियर मध्य प्रदेश; उन्नीस साल तक जिस बेटी को नाजों से पाला अपने पलकों पर बिठाए रखा आखिर में उसी बेटी की हत्या करने के लिए एक पिता मजबूर हो जाता है। बेटी की केवल एक हरकत पिता को इतनी नागवार गुजरती है कि पिता पागल सा हो जाता है अपने होश ओ हवास खो देता है। और आखिरकार उस पिता के अंदर बढ़ रही जद्दो जहद इतनी बढ़ जाती है कि आखिर में वह तो साफी से अपनी नाजों से पली बेटी का ही गला घोंट है और इतना ही नहीं उसे अपने इस अपराध का कोई रंज भी नहीं होता।इसलिए सीधे थाने पहुंचकर इस घटना को स्वीकार भी कर लेता है।

ग्वालियर के गिरवाई थाना क्षेत्र के वीरपुर बांध के पास रहने वाले राधा कृष्ण प्रजापति की 18 वर्षीय बेटी संजना प्रजापति 6 महीने पूर्व प्रेम प्रसंग के चलते अपने घर से भाग कर प्रेमी के पास पहुंची थी और उसी के साथ रहने लगी थी। पिता ने बेटी को समझाने के लिए घर पर बुलाया था और पिता पुत्री पुलिस के पास भी पहुंचे थे जहां पुलिस द्वारा पिता को बेटी को समझाने के लिए उसे घर उसके साथ भेज दिया, और यहीं पुलिस से चूक हो गई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया जबकि होना यह था कि बेटी को वन स्टॉप सेंटर भेजा जाना चाहिए था। जब दोनों घर पहुंचे तो पिता तो पहले ही सामाजिक दबाव के चलते पागलपन की हद तक पहुँच चुका था, घर पर पिता पुत्री के बीच झगड़ा हुआ तो राधाकिशन ने अपनी साफी से बेटी का गला घोट कर बेदर्दी से उसकी हत्या कर दी हत्या की चश्मदीद राधा कृष्ण की पत्नी और संजना की मां भी मौके पर थी। घटना के बाद राधा कृष्ण ने खुद थाने पहुंचकर पुलिस को मामले की जानकारी दी जिसके बाद पुलिस ने बेटी की हत्या करने वाले पिता को हिरासत में लेते हुए मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की, एडिशनल एसपी गजेंद्र वर्धमान खुद मौके पर पहुंचे और फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया फिलहाल मृतिका के शव को पोस्टमार्टम हाउस के लिए रवाना किया गया है पुलिस पूरे मामले की विवेचना में जुटी है।

हो सकता है कि यह पूरी घटना आपको हैरान कर दें। लेकिन यह ऐसा पहला मामला नहीं है। आपको बता दें कि हमारा सामाजिक संरचना ही ऐसी है कि पिता पर इतना दबाव डाल देती है कि वह यह सब करने को मजबूर हो जाता है। हमारा सामाजिक ढांचा ही ऐसा है कि हम चाहे जितना हिंदू हिंदू कर लें। लेकिन अंतरजातीय विवाह को सामाजिक मान्यता न होने के कारण और जातिगत भेदभाव होने के कारण आज हिंदू धर्म में ही एक समाज की बेटी का प्रेम प्रसंग दूसरे समाज के बेटे से ना गवार गुजरता है। और गैर जातीय प्रेम प्रसंग होने को एक पिता अपने आत्मसम्मान पर हमला समय देता है और अपने सम्मान को बचाने के लिए हत्या जैसे संगीन अपराध भी कर बैठता है। कौन बेटी चाहेगी क्योंकि उसके पिता के सम्मान में कमी आए और कौन पिता चाहेगा कि अपनी नाजों से वाली बेटी का कला अपने हाथों से ही घोंट दे? बड़े बड़े समाज सुधारकों की बातें किताबों में बंद हैं। आधुनिकता की दौड़ ने हम चाहे जितने आगे निकल जाने की बात कहें लेकिन हकीकत में आज भी हमारा सामाजिक ढांचा वही है और वही वजह भी है इस तरह के संगीन अपराध की।

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